श्री गुरु अमर दास जी – साखियाँ - लंगड़े की टांग ठीक करनी
गुरु जी का ऐसा वचन आते ही गुरुसिख उसी और ही चल दिया जहाँ गुरु जी ने भेजा था| शाह हुसैन जी के पास पहुंचकर सिख ने वहाँ आने का कारण बताया कि आप मेरी लंगडी टांग ठीक कर दे| हुसैन ने एकदम हाथ में मोटा डंडा उठा लिया और गुस्से से कहने लगा कि यह से भाग जा नहीं तो तेरी दूसरी टांग भी तोड़ दूँगा व लंगड़ा बना दूँगा| वह सिख डंडे कि मार से डरता हुआ जल्दी से उठकर भाग पड़ा|भागते-२ उसकी दूसरी टांग भी ठीक हो गई| तब वह पीछे मुड़कर हुसैन जी के चरणों में गिर पड़ा और धन्यवाद करने लगा| हुसैन जी कहने लगे कि करने वाले गुरु जी आप है मगर बदनामी मुझे देते है| मेरी तरफ से गुरु जी को नमस्कार करनी|गुरु जी कि ऐसी रहमत को देखकर हँसते-२ गुरसिख गुरु घर कि और चल दिया|