ॐ सांई राम
तू प्रेम का सागर है
तेरे दर्शन को आये हम
तेरे दर को छोड़ के साईं
बता किस दर पे जाये हम
तू प्रेम का सागर है ......
तेरे दर्शन को है रहता
मन ये सदा बेकरार
मन ये सदा बेकरार
जोड़ दे अपने मन से साईं
मेरे मन का तार
मेरे मन का तार
तेरी कृपा से हे साईं
तर जायेंगे जहाँ से हम
तू प्रेम का सागर है ......
जिधर घूम कर देखूं जग में
उधर हैं पाप खड़े
उधर हैं पाप खड़े
मन भ्रमित है माया जाल में
हम बीच भंवर खड़े
हम बीच भंवर खड़े
गर तू जो हमें थामे
हारें न कभी भी हम
तू प्रेम का सागर है ......
भजनों का यह गुलदस्ता बहन रविंदर जी की श्रधा - सबुरी बगिया से
Kindly Provide Food & clean drinking Water to Birds & Other Animals,
This is also a kind of SEWA.