मैं-मैं-मैं-मैं कर मरा
बकरा कसाई की धार
जो धरे मैं पांव तले
पहुँचेगा साँई के द्वार
स्याही साँई नाम की लेकर लिखते साँई नाम
जगत ढिंढोरा पीटते कहते है यह मेरा काम
साँई नाम की साधना गुप्त हो कर रह जायेगी
गर तेरी लिखी साँई वाणी भक्तों तक ना जायेगी
बाबा जी लीलाधारी बढ़े करे दुष्टों का कल्याण
बनिए से ना पाकर तेल उसे भी दिया सम्मान
नाम साँई का साँई के नाम ही कर दे रे ओ बंदे
साँई राम पालक है जग के ना कर उसके धंधे