हम तेरा खेला जान गए साँई जी
मुख का तेरे तेज बड़ा ही अलबेला
तेरी नज़रों की नज़ाकत भी देखी
मुखमंडल की मुस्कान को भी झेला
मैं अंजान था तेरी मोहब्बत से साँई
तेरी तड़प से गुजरा तो समझ आई
कैसे लोग बांध लेते हैं एक दिन में
हम तो एक पल भी ना पाये बिताई
मोहब्बत होती क्या हैं कोई क्या जाने
साँई के दिवानो से मिले तो सत्य को पहचाने
खुद से अलग हुआ तो पहचान पाई
अपने नाम से जुड़ा हुआ पाया साँई
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यह वेलेंटाइन डे क्या होता हैं ?
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