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श्री साईं लीलाएं - मुले शास्त्री को बाबा में गुरु-दर्शन

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ॐ सांई राम



कल हमने पढ़ा था.. भक्तों के मन की बात जानने वाला बाबा


श्री साईं लीलाएं
मुले शास्त्री को बाबा में गुरु-दर्शन 

नासिक के रहनेवाले मुले शास्त्री विद्वान थेसाथ में ज्योतिषवेदआध्यात्म के भी अच्छे जानकर थेएक बार वे नागपुर के प्रसिद्ध करोड़पति श्री बापू साहब बूटी से मिलने के लिए शिरडी आयेमिलने के बाद जब बूटी मस्जिद की ओर जाने लगे तो सहज भाव से मुले शास्त्री भी उनके साथ चल दिये|जब वे दोनों मस्जिद पहुंचे तो बाबा भक्तों को आम खिला रहे थेउसके बाद उन्होंने केलों को खाने के लिए दिन शुरू कियापरन्तु केले बांटने का उनका तरीका एकदम अनोखा थाबाबा केले की गिरी निकालकर भक्तों को देते और छिलके अपने पास रख लेते थेयह देखकर मुले शास्त्री आश्चर्य में पड़ गयेचूंकि मुले शास्त्री हस्तरेखा के भी ज्ञाता थेउनकी बाबा के हाथों की लकीरें देखने की इच्छा हुईआगे बढ़कर इसके लिए उन्होंने बाबा से प्रार्थना कीपर साईं बाबा ने उनकी बातों पर ध्यान न देकर न देकर उन्हें खाने के लिए केले पकड़ा दिएमुले शास्त्री ने बाबा से दो-तीन बार विनती कीपर बाबा ने उसकी बात न मानीआखिर हारकर वे अपने ठहरने की जगह पर लौट आये|बाबा जब दोपहर को लेंडीबाग से मस्जिद लौटे तो भक्त आरती की तैयारी में जुटे हुए थेबाजों की आवाज सुनकर बापू साहब जाने के लिए उठे और मुले जी से चलने के लिए कहालेकिन ब्राह्मण होने के कारण उन्होंने मस्जिद जाना उचित न समझा और टालने हेतु बोलेशाम को चलूंगाबापू साहब अकेले ही मस्जिद बाबा की आरती में चले गए|इधर आरती सम्पन्न होने के बाद बाबा बूटी से बोले - "जाओ और उस नए ब्राह्मण से कुछ दक्षिणा लाओ|" बूटी ने आकर मुले जी से दक्षिणा मांगी तो वह हैरान-से रह गयेकि मैं तो अग्निहोत्री ब्राह्मण हूंक्या मुझे बाबा को दक्षिणा देनी चाहिए ऐसा विचार उनके मन में आयाफिर बाबा जैसे पहुंचे हुए संत ने मुझसे दक्षिणी मांगी है और बूटी जैसे करोड़पति दक्षिणा लेने के लिये आये हैं तो कैसे मना किया जा सकता है ऐसा विचार करके मस्जिद जाने के लिए चल पड़ेपर मस्जिद पहुंचते ही उनका ब्राह्मण होने का अहंकार फिर जग उठा और वह मस्जिद से कुछ दूर खड़े होकर वहीं से ही बाबा पर पुष्प अर्पण करने लगे|लेकिन उन्हें यह देखकर घोर आश्चर्य हुआ कि बाबा के आसन पर साईं बाबा नहींबल्कि गेरुये वस्त्र पहने उनके गुरु कैलाशवासी घोलप स्वामी विराजमान हैंउन्हें अपनी आँखों पर शक-सा हो गयाकहीं वह कोई स्वप्न तो नहीं देख रहे हैंऐसा सोचकर खुद को चिकोटी काटकर देखाउनकी समझ में नहीं आया कि उनके गुरु यहां मस्जिद में कैसे आ गया फिर वे सब कुछ भूलकर मस्जिद की ओर बढ़े और गुरु के चरणों में शीश झुकाकर हाथ जोड़कर स्तुति करने लगेअन्य भक्त बाबा की आरती गा रहे थेलोगों की नजरें तो साईं बाबा को देख रही थींपर मुले जो की नजर अपने गुरु घोलपनाथ को देख रही थीवे जात-पांत का अहंकार त्यागकर गुरु-चरणों में गिर पड़े और आँखें बंद कर लींयह सब दृश्य देखकर लोगों को भी बड़ा आश्चर्य हो रहा था कि दूर से फूल फेंकने वाला ब्राह्मण अब बाबा के चरणों पर गिर पड़ा हैलोग बाबा की जय-जयकार कर रहे थेमुले घोलपनाथ की जय-जय कर रहे थे|जब उन्होंने आँखें खोलीं तो सामने साईं बाबा खड़े दक्षिणा मांग रहे थेबाबा का सच्चिदानंद स्वरूप देखकर मुले अपनी सुधबुध खो बैठेउनकी आँखों से अश्रुधारा बहने लगीफिर उन्होंने बाबा को नमस्कार करके दक्षिणा भेंट की और बोलेबाबा आज मुझे मेरे गुरु के दर्शन होने से मेरे सारे संशय दूर हो गए - और वे बाबा के परम भक्त बन गएबाबा की यह विचित्र लीला देखकर सभी भक्त और स्वयं मुले शास्त्री भी दंग रह गये|

कल चर्चा करेंगे..डॉक्टर को बाबा में श्री राम के दर्शन    

ॐ सांई राम
===ॐ साईं श्री साईं जय जय साईं ===
बाबा के श्री चरणों में विनती है कि बाबा अपनी कृपा की वर्षा सदा सब पर बरसाते रहें ।

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