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श्री साईं लीलाएं - जो मस्जिद में आया, सुखी हो गया

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ॐ सांई राम



कल हमने पढ़ा था.. डॉक्टर को बाबा में श्री राम के दर्शन 

श्री साईं लीलाएं
जो मस्जिद में आया, सुखी हो गया
 
भीमा जी पाटिल पूना जिले के गांव जुन्नर के रहनेवाले थेवह धनवान होने के साथ उदार और दरियादिल भी थेसन् 1909 में उन्हें बलगम के साथ क्षयरोग (टी.बी.) की बीमारी हो गयीजिस कारण उन्हें बिस्तर पर ही रहना पड़ाघरवालों ने इलाज कराने में किसी तरह की कोई कोर-कसर न छोड़ीलेकिन कोई लाभ नहीं हुआवह हर ओर से पूरी तरह से निराश हो गये और भगवान् से अपने लिए मौत मांगने लगे|फिर ऐसे में अचानक पाटिल को नाना सोहब चाँदोरकर की याद आयीउन्होंने उन्हें लाइलाज बीमारी के बारे में विस्तार से वर्णन करते हुए पत्र लिखाचूंकि नाना साहब भीमा पाटिल के पुराने मित्र थेसो पत्र पढ़कर बेचैन हो उठेजवाब में उन्होंने शिरडी और साईं बाबा का महत्व बताते हुए उनकी शरण लेने को कहाकि अब इसके अलावा और कोई उपाय नहीं है|नाना साहब का पत्र पाकरउनके वचनों पर विश्वास करते हुए उन्हें आशा की किरण दिखाई दीउन्होंने शिरडी जाने की तैयारी कीसाथ में घरवाले भी थेउन्होंने उन्हें शिरडी में लाकर मस्जिद में बाबा के सामने लिटा दियाउस समय वहां पर नाना साहब और माधवराव (शामा) तथा अन्य भक्त भी उपस्थित थे|भीमा की हालत देखकर बाबा बोले - "ये सब तो पूर्वजन्म के दुष्कर्मों का फल हैमैं कोई मुसीबत मोल लेना नहीं चाहता|" साईं बाबा का जवाब सुनकर भीमा ने बाबा के चरण छूकरगिड़गिड़ाते हुए अपने प्राण बचाने की विनती कीतो बाबा के मन में करुणा पैदा हो गयीबाबा पाटिल से बोले - "ऐ भीमा ! घबरा मतजिस समय तू शिरडी में दाखिल हुआउसी क्षण तेरा बदनसीब दूर हुआमस्जिद का फकीर बड़ा दयालु हैवह रोग भी दूर करता है और प्यार से परवरिश भी करता हैजो भी व्यक्ति श्रद्धा के साथ इस मस्जिद की सीढ़ी पर कदम रखता हैवह सुखी हो जाता है|" यह सुनते ही भीमा बेफिक्र हो गया|भीमा बाबा के पास लगभग एक घंटा बैठा होगापर सबसे आश्चर्यजनक बात यह थी कि भीमा को हर पांच मिनट में खूनी उल्टियां हुआ करती थींपर बाबा के सामने रहने पर उसे एक बार भी उल्टी नहीं हुईरोग तो तभी समाप्त हो गया था जब बाबा ने भीमा को दयालुता-भरे वचन कहे थेबाद में बाबा ने भीमा जी को भीमाबाई के घर ठहरने के लिए कहा|बाबा के कहने पर भीमा पाटिल भीमाबाई के घर रुक गया और थोड़े ही दिनों में उसका रोग पूरी तरह से ठीक हो गयावह बाबा का गुणगान करता हुआ अपने घर लौट गया और बाबा के दर्शन करने के लिए आने लगाभीमा की साईं बाबा ने निष्ठा बढ़ गई|
कल चर्चा करेंगे..बाबा का विचित्र आदेश    

ॐ सांई राम
===ॐ साईं श्री साईं जय जय साईं ===
बाबा के श्री चरणों में विनती है कि बाबा अपनी कृपा की वर्षा सदा सब पर बरसाते रहें ।

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