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Channel: Shirdi Ke Sai Baba Group (Regd.)
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श्री साईं लीलाएं - दासगणु की वेशभूषा

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ॐ सांई राम
किसी भी कीमत पर स्वतंत्रता का मोल नहीं किया जा सकता,
वह जीवन है,भला जीने के लिए कोई क्या मोल नहीं चुकाएगा? 
स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं





कल हमने पढ़ा था..रतनजी शापुरजी की दक्षिणा

श्री साईं लीलाएं
दासगणु की वेशभूषा


एक समय दासगणु महाराज हरिकथा कीर्तन के लिए शिरडी आये थे| उनका कीर्तन होना भक्तों को बहुत आनंद देता था| सफेद धोती, कमीज, ऊपरी जरी का गमछा और सिर पर शानदार पगड़ी पहने और ऊपर से मधुर आवाज दासगणु का यह अंदाज श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर देता था| उनका कीर्तन सुनने के लिए दूर-दूर से श्रोताओं की भारी भीड़ एकत्रित हुआ करती थी|

एक दिन दासगणु महाराज कीर्तन के लिए पूरी पोशाक पहन, सज-धजकर जाने से पहले साईं बाबा को प्रणाम करने मस्जिद पहुंचे तो बाबा ने उन्हें देखकर कहा - "अच्छा, दूल्हे राजा इतना बन-ठनकर कहां जा रहे हो?"तब दासगणु ने कहा - "बाबा ! मैं कीर्तन करने जा रहा हूं|"

बाबा ने पूछा - "हरि कीर्तन करनेवालों को यह सब चमक-दमक और दिखावे की क्या आवश्यकता है? चलो, इनको अभी मेरे सामने उतारो|"बाबा की आज्ञानुसार दासगणु महाराज ने भारी कपड़े उतार दिये और मात्र एक धोती पहनकर मंजीरे के साथ हरि कथा कीर्तन करना शुरू कर दिया| इसके बाद दासगणु महाराज ने कीर्तन के समय शरीर पर धोती के अलावा अन्य वस्त्र धारण नहीं किए| बाबा को कीर्तन के लिए कपड़ों से अधिक सादगी पंसद थी|
 
कल चर्चा करेंगे... चोलकर को शक्कर की चाय पिलाओ

ॐ सांई राम
===ॐ साईं श्री साईं जय जय साईं ===
बाबा के श्री चरणों में विनती है कि बाबा अपनी कृपा की वर्षा सदा सब पर बरसाते रहें ।

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