ॐ सांँई राम जी
कब से सहते आये हो
और कहो कब तक सहोगे
दुख की जड़े खत्म कर दो साँई
बस कह दो हमारे दिल मे रहोगे
ना धरती ना आकाश
ना अंधेरा ना प्रकाश
इस दिल को तो मिले सकून
जब होते है बाबा आस पास
विज्ञान कहे प्रकाश गति
ना कोई सके पछाड़
दुखियों के दुख हरने पल में
साँई पहुंचे 7 समुद्र भी पार
हीरे में कुछ चमक नही
खेल ये प्रकाश रचाये
रचना लिखते आनंद से
लीला साँई दिखाये
रचना लिखी आनंद से
आनंद सब जग पाये
अमृत बरसे वाणी से
जिस हृदय साँई समाये