ॐ सांई राम जी
श्री गुरु अर्जन देव जी - साखियाँ - करे कराए आपे प्रभू
"करे कराए आपि प्रभू, सभु किछु तिसही हाथ|"
पर दूसरे स्थान पर आप जी यह लिखते हैं -
जैतसरी महला ५ वार सलोका नालि
"जैसा बीजै सो लुणै करम इहु खेत||"
गुरु जी कहने लगे हे भाई! जिस प्रकार बुद्धिमान वैद किसी रोगी का रोग देखकर दवाई देता है उसी प्रकार सिख के जीवन-व्यवहार, रहणी-बहणी को देख कर उपदेश दिया जाता है| जैसे कि जो दुनियादारी के कामों में लगा हुआ करम करता है, उसको अच्छे कर्मों की प्रेरणा के लिए 'जैसा बीजै सो लुणै'का अधिकारी समझ कर उपदेश दिया जाता है|
परन्तु जो कोई विचारशील होकर परमात्मा की भक्ति करता है उसको 'करे कराए आपि प्रभू'का उपदेश दिया जाता है| ऐसा ना हो कि कहीं उसको अपनी करनी का गर्व हो जाए| इस प्रकार गुरु का उपदेश सिख की अध्यात्मिक अवस्था को ध्यान में रखकर दिया जाता है| इसलिए सिख को किसी प्रकार का भ्रम नहीं करना चाहिए| उसको अपनी मानसिक अवस्था के अनुसार उपदेश ग्रहण करना चाहिए|