ॐ सांँई राम
एक विनती साँई जी से
कुछ ऐसी रंगत साँई मेरे सजदो में भर दे
खैरियत मांगू किसी के लिए तो तू पूरी कर दे
कुछ इनायत मेरे हाथों में भी यूँ कर दे
कि छुऐ किसी के ज़ख्म तो इलाज कर दे
कुछ करम इन नज़रों पर भी कर दो मेरे साँई
पड़े किसी पराई नार पर तो वो बहन या मेरे माई कर दे
थोड़ा सा बस रहम दिल इस दिल को भी कर दे
ना करूं क्रोध किसी निर्दोष पर कमजोर समझ कर
कुछ भी ना कर सको तो बस इतना कर दो
बस अपने इस दास का नाम इंसानो में कर दो
साँई इस दास को मछली और खुद को पानी कर दो
जुड़ी रहे ये जिंदगी साँई नाम से ऐसी कुछ कहानी कर दो
साँई नाम का सिंदूर भरू अपनी मांग मे पूरा जीवन
पतिव्रता बना रहूँ तेरे नाम का मैं आजीवन
नारी नहीं हूँ पर नारी का सम्मान जानता है यह दास
जगत जननी है, बेटी है, हर रंग में है वो ही सिर्फ खास
सबूरी मन धर मै शबरी बन बैठा हूँ
आंसुओं से धौ कर बेर रख बैठा हूँ
नज़रे भी अब तो पत्थर कर बैठा हूँ
बस साँई मिलन की आस लिए बैठा हूँ