ॐ सांँई राम जी
करता भी तू हैं
करवाता भी तू हैं
तो फिर क्यों सजा
दिलवाता भी तू हैं
इस बिरह की अग्नि में
जलवाता भी तू हैं
बिछड़े हुओ को साँई
मिलवाता भी तू हैं
फकीर की झोली
भरवाता भी तू हैं
माँ के आँचल से दूध
पिलवाता भी तू हैं
इस धरती पर जीवन
दिलवाता भी तू हैं
हमें मोह से मुक्त
करवाता भी तू हैं
मोक्ष भी तू हैं
हानि लाभ भी तू हैं
कर्ज भी तू हैं
ब्याज भी तू हैं
सब कुछ तू ही हैं तो हमें
सताता भी तो तू ही हैं