ॐ सांँई राम
मिल के कर लो
खुल के कर लो
साँईं का गुनगान
साँईं का गुनगान करेगा
साँईं का गुनगान करेगा
हम सब का कल्याण
सुबह शाम साँईं की आरती उतार लो
साँईं की भक्ति से ख़ुद को संवार लो
मानो कहना नहीं तो वरना
रहेंगे भटकते प्राण
साँईं की भक्ति से ख़ुद को संवार लो
मानो कहना नहीं तो वरना
रहेंगे भटकते प्राण
सच्चे मन से जो साँईं दरबार में आया
जो भी कामना की है उसने वो पाया
साँईं कृपा से हो जाते हैं
जो भी कामना की है उसने वो पाया
साँईं कृपा से हो जाते हैं
निर्धन भी धनवान
भक्तों की सुनते सदा मन की पुकार साँईं
झोलियों में भरते सदा अपना प्यार साँईं
हर सुख का दाता है जग में साँईं का ध्यान
झोलियों में भरते सदा अपना प्यार साँईं
हर सुख का दाता है जग में साँईं का ध्यान
मिल के कर लो
खुल के कर लो
साँईं का गुनगान
साँईं का गुनगान करेगा
साँईं का गुनगान करेगा
हम सब का कल्याण