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शिरडी तीर्थ स्थान

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 ॐ सांँई राम




शिरडी तीर्थ स्थान

साँईं बाबा का निवास सथान होने के कारण शिरडी की प्रसिद्धि देश भर में फैली है और शिरडी को लोग तीर्थ स्थान मानते हैं। शिरडी में यात्रियों, दर्शकों और भक्तों के ठहरने के लिये एक ही स्थान था जिसका नाम “साठे का बाड़ा” था। हरि विनायक साठे ने नीम पेड़ के आसपास की जमीन खरीद कर वहाँ लोगों के ठहरने के लिये एक बाड़ा बनवा दिया। नीम वृक्ष को चबूतरे से घेर दिया। सन् 1909 ई. में नाना साहब चान्दोरकर के कहने पर बम्बई के सालिसिटर हरि सीताराम उर्फ काका साहब दीक्षित साँईं बाबा के दर्शन के लिये शिरडी आये। वे एक बार लन्दन में ट्रेन से गिर गये थे जिससे उनके एक पैर में लंगड़ापन आ गया था। जब वे साईं बाबा से मिले तब उन्होंने कहा कि “पाँव के लँगड़ेपन की कोई बात नहीं है, मेरे मन के लंगड़ेपन को दूर कर दीजिये।” साँईं बाबा की कृपा से काका साहब दीक्षित के पैर और मन दोनों का लंगड़ापन ठीक हो गया। काका साहब दीक्षित इतने प्रभावित हुये कि उन्होंने साँईं बाबा के निकट शिरडी में ही रहने का निश्चय कर लिया। उन्होंने अपने रहने और दूसरे भक्तों के ठहरने के लिये एक बाड़ा शिरडी में बवनाया जो “दीक्षित बाड़ा” के नाम से जाना जाता है। नागपुर के धनी श्रीमान बापू साहब बूटी को साईं बाबा ने एक बार आँव की भयंकर बीमारी से और दूसरी बार हैजे से ठीक कर दिया। बापू साहब बूटी ने करोड़ों रुपये खर्च कर शिरडी में बाड़ा बनवा दिया। इस प्रकार शिरडी में तीन बाड़ा हो गये जहाँ आगन्तुक भक्त ठहरने लगे।
श्रीमान बूटी ने भव्य बाड़ा उसी स्थान पर बनवाया जहाँ पर साँईं बाबा के परिश्रम से फूलों का बगीचा तैयार हो गया था। बापू साहब बूटी के उसी बाड़े में साँईं बाबा का समाधि मन्दिर स्थित है जहाँ प्रतिदिन हजारों यात्री दर्शन करने के लिये आते हैं। साईं बाबा तो अन्तर्यामी थे। ऐसा लगता है कि उन्हें पहले से ही ज्ञात था कि उनका समाधि मन्दिर वहीं बनेगा। तभी तो पहले वहाँ उनके करकमलों से बगीचा लगा और बाद में वहीं उनकी समाधि बनी। अपनी मना समाधि के कुछ वर्ष पहले साँईं बाबा ने कहा था, “मेरे संसार से चले जाने के बाद भी मैं अपने समाधि के माध्यम से बात करूँगा।” उनकी यह भविष्यवाणी सच हुई। वे आज भी अपने भक्तों को नये नये अनुभव कराते हैं।


आपने कभी साँईं को देखा है ?
साँईं गरीबो का ...........
साँईं को पाना हैं या मिलना हैं तो किसी गरीब की मदद
कर के देखो वहां से साँईं की झलक उस मददगार को होगी
यकीन न हो तो आजमा के देखो.............

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