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श्री गुरु अर्जन देव जी - साखियाँ - गुरमुख और मनमुख

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 ॐ साँई राम जी




श्री गुरु अर्जन देव जी - साखियाँ

गुरमुख और मनमुख

एक दिन कुला, भुला और भागीरथ तीनों ही मिलकर गुरु अर्जन देव जी के पास आए| उन्होंने आकर प्रार्थना की कि हमें मौत से बहुत डर लगता है| आप हमें जन्म मरण के दुख से बचाए| 

गुरु जी कहने लगे, आप गुरमुख बनकर मनमुखो वाले कर्म करने छोड़ दें| उन्होंने कहा महाराज! हमें यह समझाए कि गुरमुख और मनमुख में क्या अन्तर होता है| हमें इनके लक्षणों से अवगत कराए|

गुरमुख के लक्षण- 

· गुरु के वचनों को याद रखना 

· अपने उपर नेकी करने वालो की नेकी को याद रखना 

· सबकी भलाई सोचना और चाहना 

· किसी के काम में विघन नहीं डालना 

· खोटे कर्मों का त्याग करना 

· नेक कर्मों को ग्रहण करना 

· गुरु के उपदेश को ग्रहण करके अपने आत्म स्वरुप को जानने वाला और अनेक में एक को देखने वाला गुरमुख होता है| 

मनमुख के लक्षण- 

· सबसे ईर्ष्या करनी 

· किसी का भला होता देख दुखी होना 

· अपनी इच्छा से काम करने 

· कभी किसी का भला न सोचना 

· जो नेकी करे उसकी बुराई करनी 

· सबके बुरे में अपना भला समझना 

· कथा कीर्तन ध्यान न लेना 

· गुरु उपदेश को ध्यान से न सुनना 

· पुण्य और स्नान से परहेज करना 

· उपजीविका के लिए झूठ बोलना| 

गुरु जी के यह वचन सुनकर तीनों को संतुष्टि हुई| उन्होंने गुरमुखता के मार्ग पर प्रण कर लिया| फिर वह गुरु जी को माथा टेक कर अपने काम काज में लग गए|

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