Quantcast
Channel: Shirdi Ke Sai Baba Group (Regd.)
Viewing all articles
Browse latest Browse all 4286

रामायण के प्रमुख पात्र - श्रीरामभक्त विभीषण

$
0
0
रामायण के प्रमुख पात्र - श्रीरामभक्त विभीषण

महर्षि विश्रवा को असुर कन्या कैकसी के संयोग से तीन पुत्र हुए - रावण, कुम्भकर्ण और विभीषण| विभीषण विश्रवा के सबसे छोटे पुत्र थे| बचपन से ही इनकी धर्माचरण में रुचि थी| ये भगवान् के परम भक्त थे| तीनों भाइयों ने बहुत दिनों तक कठोर तपस्या कर के श्री ब्रह्माजी को प्रसन्न किया| ब्रह्मा ने प्रकट होकर तीनों से वर माँगने के लिये कहा - रावण ने अपने महत्त्वाकांक्षी स्वभाव के अनुसार श्रीब्रह्माजी से त्रैलोक्य विजयी होने का वरदान माँगा, कुम्भकर्ण ने छ: महीने की नींद माँगी और विभीषणने उनसे भगवद्भक्ति की याचना की| सबको यथायोग्य वरदान देकर श्रीब्रह्माजी अपने लोक पधारे| तपस्या से लौटने के बाद रावण ने अपने सौतेले भाई कुबेर से सोने की लंका पूरी को छीनकर उसे अपनी राजधानी बनाया और ब्रह्मा के वरदान के प्रभाव से त्रैलोक्य विजयी बना| ब्रह्माजी की सृष्टि में जितने भी शरीर धारी प्राणी थे, सभी रावण के वश में हो गये| विभीषण भी रावण के साथ लंका में रहने लगे|

रावण ने जब सीताजी का हरण किया, तब विभीषण ने परायी स्त्री के हरण को महापाप बताते हुए सीताजी को श्रीराम को लौटा देने की उसे सलाह दी| किन्तु रावण ने उस पर कोई ध्यान न दिया| श्रीहनुमान् जी सीता की खोज करते हुए लंका में आये| उन्होंने श्रीराम नाम से अंकित विभीषण का घर देखा| घर के चारों ओर तुलसी के वृक्ष लगे हुए थे| सूर्योदय के पूर्व का समय था, उसी समय श्रीराम-नाम का स्मरण करते हुए विभीषणजी की निद्रा भंग हुई| राक्षसों के नगर में श्रीराम भक्त को देखकर हनुमान् जी को आश्चर्य हुआ| दो राम भक्तों का परस्पर मिलन हुआ| श्रीहनुमान् जी का दर्शन करके विभीषण भाव विभोर हो गये| उन्हें ऐसा प्रतीत हुआ कि श्रीराम दूत के रूप में श्रीराम ने ही उनको दर्शन देकर कृतार्थ किया है| श्रीहनुमान् जी ने उनसे पता पूछकर अशोक वाटिका में माता सीता का दर्शन किया| अशोक वाटिका-विध्वंस और अक्षय कुमार के वध के अपराध में रावण हनुमान् जी को प्राण दण्ड देना चाहता था| उस समय विभीषण ने ही उसे दूत को अवध्य बताकर हनुमान् जी को कोई और दण्ड देनेकी सलाह दी| रावण ने हनुमान् जी की पूँछ में आग लगाने की आज्ञा दी और विभीषण के मन्दिर को छोड़कर सम्पूर्ण लंका जलकर राख हो गयी|

भगवान् श्रीराम ने लंका पर चढ़ायी कर दी| विभीषण ने पुन: सीता को वापस कर के युद्ध की विभीषण को रोकने कि रावण से प्रार्थना की| इस पर रावण ने इन्हें लात मारकर निकाल दिया| ये श्रीराम के शरणागत हुए| रावण सपरिवार मारा गया| भगवान् श्रीराम ने विभीषण को लंका का नरेश बनाया और अजर-अमर होने का वरदान दिया| विभीषणजी सप्त चिरंजीवियों एक हैं और अभी तक विद्यमान हैं|


Viewing all articles
Browse latest Browse all 4286

Trending Articles



<script src="https://jsc.adskeeper.com/r/s/rssing.com.1596347.js" async> </script>