कर्म बुरे जब हम करे
धर्मराज लिखते जाये
साँईं नाम का हो जब सिमरन
स्वयं ही मिटते जाये
उजले कर्म कमाये जा
आगे काम तेरे ये आये
पाप कमाये जो पूर्व जन्म
खुद साँईं संवारते जाये
खड़ा रहे पानी अगर
वह भी सड़ता जाये
चलता पानी झरने की
शोभा अति बढ़ाये
यू ही साँई नाम चलता रहे
तेरा भाग्य चमकता जाये