ॐ साँई राम
हर रूप सलोना है साँईं तेरा !
हर रूप में साँईं तुम जचते हो !!
हम सबके भाग्य विधाता हो !
हर दिल में साँईं तुम बसते हो !!
क्या वर्णन हो तेरी छवि का?
क्या व्याख्या हो तेरी महिमा की?
जिसको जो चाहिए तुम से साँईं !
उसको वो ही अर्पण तुम करते हो !!
है हाथ तुम्हारा सिर पर हमारे !
तो दुःख हम क्या जग में साँईं पायेगें?
हो खेवन हार जब तुम हमारे !
तो साँईं हम हर भव से तर जायेगें !!
सुख भाव है चेहरे पर हमारे !
हमको तेरी दया का प्रसाद मिला है !!
जब भी पुकारा है हमने साँईं तुमको !
हमने तुझको अपने आस पास ही पाया है !!
है विश्वास मेरा दया के सागर तुम पर !
"मानव"की सुध भी तुम लेने आओगे !!
जब प्राण पखेरू ये उड़ने को होंगे !
तब उद्धार तुम आकर मेरा कर जाओगे !!
हर रूप में साँईं तुम जचते हो !!
हम सबके भाग्य विधाता हो !
हर दिल में साँईं तुम बसते हो !!
क्या वर्णन हो तेरी छवि का?
क्या व्याख्या हो तेरी महिमा की?
जिसको जो चाहिए तुम से साँईं !
उसको वो ही अर्पण तुम करते हो !!
है हाथ तुम्हारा सिर पर हमारे !
तो दुःख हम क्या जग में साँईं पायेगें?
हो खेवन हार जब तुम हमारे !
तो साँईं हम हर भव से तर जायेगें !!
सुख भाव है चेहरे पर हमारे !
हमको तेरी दया का प्रसाद मिला है !!
जब भी पुकारा है हमने साँईं तुमको !
हमने तुझको अपने आस पास ही पाया है !!
है विश्वास मेरा दया के सागर तुम पर !
"मानव"की सुध भी तुम लेने आओगे !!
जब प्राण पखेरू ये उड़ने को होंगे !
तब उद्धार तुम आकर मेरा कर जाओगे !!