ॐ सांई राम
कितना सुन्दर, कितना प्यारा मुखड़ा, तुम्हारा लगता साईं
ऐसा नूर तेरे चेहरे का, कर दिया मुझको भी नूरोनूर
तेरी आँखों में देखा तो मिल गए मुझको भी ऐसी ज्योत
तेरे सिवा कुछ और न दिखता बस गए इनमे तुम ही साईं
मंदिर मस्जिद या गुरुद्वारा हर जग में तुझको पाऊ
ऐसा नूर तेरे चेहरे का, कर दिया मुझको भी नूरोनूर
तेरी आँखों में देखा तो मिल गए मुझको भी ऐसी ज्योत
तेरे सिवा कुछ और न दिखता बस गए इनमे तुम ही साईं
मंदिर मस्जिद या गुरुद्वारा हर जग में तुझको पाऊ
अब तक थी मै भटक रही तुझको ही थी ढूंढ रही
कर दी ऐसी दया मेरे साईं खींचा खुद ही अपनी ओर
प्यार हुआ तुझसे अब इतना मिले बिना रहा न जाए
हर दम तुझसे मिलना चाहू तुझमे ही मै खोना चाहू
कर दी ऐसी दया मेरे साईं खींचा खुद ही अपनी ओर
प्यार हुआ तुझसे अब इतना मिले बिना रहा न जाए
हर दम तुझसे मिलना चाहू तुझमे ही मै खोना चाहू