सोचा थोड़ा भीड़ से किनारा कर लूँ
थोड़ा गुमनामी में रह कर गुजारा कर लूँ
परिवार को कैसे भीड़ का हिस्सा कर लूँ
बिना सांसों के मैं कैसे दम भर लूँ
नीर बिना रहे कभी मीन नहीं
साँईं नाम बिना कोई जीन नहीं
दर पर माथा टेके वो हीन नहीं
बात बाबा की निकली वो महीन नहीं