ॐ सांई राम
मैंने देखा है सुबह शाम कीर्तन में लीन पापी पुजारियों को
मैंने देखा है कई दरख़्त-से, पांच वक्त के नापाक नमाजियो को
मैं नहीं रहता किसी मंदिर मस्जिद गिरजा या गुरूद्वारे में
नहीं रहता मैं, आडम्बर और नियमों के गलियारे में
बसेरा मेरा पाक-साफ़ दिल, मोहब्बत जिसकी सेज है
इंसानियत रूह मेरी.. मंजिल अमन और रूहानियत नेक है
अब भी वक्त है जान ले ए-इंसान, सबका मालिक एक है......
मैंने देखा है कई दरख़्त-से, पांच वक्त के नापाक नमाजियो को
मैं नहीं रहता किसी मंदिर मस्जिद गिरजा या गुरूद्वारे में
नहीं रहता मैं, आडम्बर और नियमों के गलियारे में
बसेरा मेरा पाक-साफ़ दिल, मोहब्बत जिसकी सेज है
इंसानियत रूह मेरी.. मंजिल अमन और रूहानियत नेक है
अब भी वक्त है जान ले ए-इंसान, सबका मालिक एक है......
!!साँईं बाबा अपने पवित्र चरणकमल ही
हमारी एकमात्र शरण रहने दो!!
ॐ साँईं राम